
न्यूयॉर्क, (शिन्हुआ) - नेचर मेडिसिन में प्रकाशित एक अध्ययन से पता चला है कि माइक्रोप्लास्टिक्स अब मानव मस्तिष्क में प्रवेश कर रहे हैं, जो संभावित रूप से लोगों के स्वास्थ्य और मानसिक कल्याण पर हानिकारक प्रभाव डाल सकते हैं।
न्यूयॉर्क, (शिन्हुआ) - नेचर मेडिसिन में प्रकाशित एक अध्ययन से पता चला है कि माइक्रोप्लास्टिक्स अब मानव मस्तिष्क में प्रवेश कर रहे हैं, जिससे लोगों के स्वास्थ्य और मानसिक कल्याण पर संभावित रूप से हानिकारक प्रभाव पड़ सकते हैं।
माइक्रोप्लास्टिक्स वे प्लास्टिक कण हैं जो 5 मिलीमीटर से छोटे होते हैं, जो पेंसिल के सिरों पर लगे रबर से भी छोटे होते हैं। ये या तो निर्मित होते हैं या प्लास्टिक वस्तुओं से टूटकर आते हैं। नैनोप्लास्टिक्स उससे भी छोटे होते हैं, जिनकी चौड़ाई मानव बाल की तुलना में मात्र एक अंश होती है।
वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट है कि ये छोटे प्लास्टिक के टुकड़े रक्त-मस्तिष्क बाधा को पार कर मानव मस्तिष्क में प्रवेश कर रहे हैं। मस्तिष्क में माइक्रोप्लास्टिक्स की मात्रा समय के साथ बढ़ती जा रही है, और 2024 में 2016 की तुलना में मस्तिष्क में 50 प्रतिशत अधिक माइक्रोप्लास्टिक कण पाए गए हैं। वैज्ञानिकों ने डिमेंशिया से पीड़ित 12 मृत मरीजों के मस्तिष्क की भी जांच की और पाया कि इनमें सामान्य मस्तिष्क की तुलना में 3-5 गुना अधिक माइक्रोप्लास्टिक्स मौजूद थे।
हाल के वर्षों में, वैज्ञानिकों ने यह खोजा है कि कई प्लास्टिक वस्तुएं जैसे प्लास्टिक बैग, पानी की बोतलें, कार के टायर, पॉलिएस्टर या सिंथेटिक फाइबर कपड़े छोटे टुकड़ों या रेशों में टूट सकते हैं, जो हवा, भोजन और पानी में छोड़े जा सकते हैं। इन कणों में से कई मानव शरीर में गहराई से जमा हो चुके हैं और यकृत, अपरा, रक्त, वृषण और यहां तक कि कुछ धमनियों में भी पाए गए हैं, जो हृदय की ओर जाती हैं।
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